शनिवार के दिन शनि महाराज को नीले रंग का अपराजिता फूल चढ़ाएं और काले रंग की बाती और तिल के तेल से दीप जलाएं। साथ ही शनिवार के दिन महाराज दशरथ का लिखा शनि स्तोत्र पढ़ें। शमी का वृक्ष घर में लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा करें। इससे न सिर्फ आपके घर का वास्तुदोष दूर होगा बल्कि शनिदेव की कृपा भी बनी रहेगी।
माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा घर पर बनी रहे, इसके लिए हमें उनके समक्ष सात मुख वाला दीपक जलाना चाहिए। शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए घी या सरसों के तेल का आठ या बारह मुख वाला दीपक जलाना चाहिए। शनि ग्रह की आपदा से मुक्ति हेतु तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। पति की लंबी आयु की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए घर के मंदिर में महुए के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
गणेश या दुर्गा मंदिर के बाहर बैठी किसी कन्या को बुधवार के दिन साबुत बादाम देना चाहिए। इससे घर की बीमारी दूर होती है। कमजोर मस्तिष्क वालों को बुधवार के दिन उपवास रख कर पूजा करना चाहिए, क्योंकि बुधवार का दिन बुद्धि प्राप्ति का दिन होता है। लाल किताब अनुसार दुर्गा की भक्ति करने से बुध ग्रह से उत्पन्न सभी तरह के दोष मिट जाते हैं।
श्रीगणेश को ही बुध ग्रह का कारक देवता भी माना गया है। श्री गणेश की बुधवार को पूजन करते समय उन्हें पांच, ग्यारह या इक्कीस दूर्वा चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है। हनुमानजी की तरह गणेशजी भी सिंदूर को पसंद करते हैं। सिदूर ऊर्जा का प्रतीक है और गणपति भी ऊर्जा, बुद्धि व सिद्धि के दाता हैं। उन्हें सिंदूर चढ़ाने के बाद स्वयं भी उससे तिलक करें। इससे व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और भाग्य का उदय होता है। इससे व्यक्ति अकाल मृत्यु, रोग और अपयश से बचता है। साथ ही उसके जीवन में सफलता आती है।
शनि देव को खुश करने के लिए गरीबों और जरूरतमंदों को काले रंग की चीजें जैसे काले तिल, काले कपड़े, और लोहे की वस्तुएँ दान करें। शनि देव सेवा और दान से प्रसन्न होते हैं।
सुंदरकांड का पाठ शनिवार और मंगलवार करने से आपकी सभी परेशानियाँ दूर हो जाती है। जिस जगह यह पाठ किया जाता है वहा नकारात्मक उर्जा का वास नहीं होता। सभी घर में आत्मविश्वास से पूर्ण हो जाते है। ग्रहों की दशा सुधर जाती है। शनि की साढ़े साती व ढैय्या में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। इसके पाठ से हनुमान भक्तो पर शनि की विशेष कृपा रहती है। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्तिभटक नहीं सकर्ती, इस तरह की शक्ति प्राप्त करता है वह भक्त। जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं। हनुमान भक्त पर शनिदेव की कृपा स्वतः बरसने लगती है।
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के दान करने के अलावा कंबल का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन कंबल दान से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में शीतकालीन कष्टों से राहत मिलती है। यह दान कुंडली के शनि और राहु दोष को शांत करता है।
ज्योतिष शास्त्र में काले तिल को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि नजरदोष से छुटकारा पाने के लिए लोहड़ी के दिन काले तिल लोहड़ी की आग्नि में डालकर अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं।
लोहड़ी पर जब लकड़ियां पूरी तरह से जल जाती हैं तो सभी उपस्थित व्यक्ति उस अग्नि की तीन बार परिक्रमा करते हैं। सभी खाने की वस्तुओं को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। अग्नि समाप्त होने के बाद कुछ अधजली लकड़ी को जाते समय घर ले जाते हैं क्योंकि माना जाता है कि वह लकड़ी घर की पश्चिम दिशा में रखने से घर पर दुष्ट आत्माओं का प्रभाव नहीं होता।
यह मस्तिष्क में स्थित सहस्र चक्र से संबंधित है जो कि संसार के साथ हमारा संबंध स्थापित करता है।
साहस, ताकत, नाम और पैसा कमाने में 9 मुखी रुद्राक्ष मदद करता है।
यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को नियंत्रित करता है।
चक्कर आना, त्वचा विकारों या किसी तरह के फोबिया से ग्रस्त लोगों को 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से फायदा होता है।
यह रुद्राक्ष फेफड़े, बुखार, आंखों में दर्द, आंतों में दर्द, त्वचा रोग, बदन दर्द, आदि के रोगों को ठीक करने में बहुत उपयोगी माना जाता है।