गणेश रुद्राक्ष को भगवान गणपति का साक्षात रूप माना जाता है। इसे भगवान गणेश का प्रत्यक्ष आशीर्वाद माना गया है। यह आपके सफल होने की संभावनाएं बढ़ाता है, और प्रसिद्धि और समृद्धि को आकर्षित करता है। यह आपके जीवन में धन प्रवाह को बढ़ाता है साथ ही नई शुरुआत के लिए गणेश रूद्राक्ष बहुत भाग्यशाली माना जाता है। इससे आपके जीवन पथ की हर बाधा भी दूर हो जाती है।
शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। पेड़ के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए पेड़ की पूजा करें। यह उपाय सकारात्मक ऊर्जा लाता है और साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करता है।
शनि की साढ़ेसाती के दौरान ज्योतिषी की सलाह पर नीलम रत्न धारण करें। इसे धारण करने से पहले इसे कुछ दिनों तक जांचें। नीलम रत्न केवल तभी पहनें जब यह आपकी कुंडली के अनुसार अनुकूल हो।
पति-पत्नी के बीच विश्वास की कमी है तो करवा चौथ के दिन आप एक लाल रंग के रेशमी कपड़े में दो गोमती चक्र और 50 ग्राम पीली सरसों बांध लें। इसके बाद एक कागज पर अपने पति का नाम लिखकर और उसे भी बांध दें। अब इस पोटली को कहीं ऐसी जगह छिपा दें जहां साल भर तक किसी की भी नजर इस पर ना पड़े। इस पोटली को अगले साल करवा चौथ पर खोलें। ऐसा करने से पति-पत्नी केबीच संबंध मजबूत होता है।
इस यंत्र को स्थापित करने से घर में धन और समृद्धि आती है। साथ ही आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। यहीं से धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं। इसके अलावा यह यंत्र व्यापारियों के लिए भी बहुत शुभ साबित होता है। कुबेर यंत्र को तिजोरी या अलमारी में रखना शुभ होता है। इसकी स्थापना से व्यापार में उन्नति होती है, पैसे की बचत होती है।
सिंदूर चढ़ाने से भगवान हनुमान जी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर दिल खोलकर कृपा बरसाते हैं। ध्यान रहे कि सिंदूर नारंगी रंग का होना चाहिए। मंगलवार को सिंदूर अर्पित करने से ग्रह दोष दूर होते हैं दुर्घटनाओं से रक्षा होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती हैं। सिंदूर को पीपल या पान के पत्ते पर रखकर चढ़ाएं।
नए कार्य, व्यवसाय, नौकरी, रोजगार आदि शुभ कार्यों के लिए जाते समय घर की कोई महिला एक मुठ्ठी काले उड़द उस व्यक्ति के ऊपर से उतार कर भूमि पर छोड़ दे तो हर कार्य में सफलता मिलेगी।
लोगों को तुलसी की माला पहनकर अंत्येष्टि में नहीं जाना चाहिए और न ही तुलसी की माला पहनकर श्मशान घाट में जाना चाहिए। यदि जाना ही पड़े तो इसे उतारकर गंगा जल में विसर्जित कर देना चाहिए और अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए। साथ ही वापस आकर नहा लें। इसके बाद गंगाजल पीकर खुद को शुद्ध करें और तुलसी की माला पहनें।